________________ // 466 // // 468 / उवसग्ग१ गब्भहरणंर इत्थीतित्थं३ अभाविया परिसा४।.. कण्हस्स अवरकंका५ अवयरणं चंदसूराणं६ // 464 // हरिवंसकुलुप्पत्ती७ चमरुप्पाओ य८ अट्ठसय सिद्धा९ / अस्संजयाण पूआ१० दस वि अणंतेण कालेणं // 465 // सिरिरिसहसीयलेसुं इक्विकं मल्लिनेमिणाहे य / वीरजिणिदे पंच,उ एगं सव्वेसु पाएणं .." रिसहे अट्ठहिंयसयं सिद्धं सीयलजिणम्मि हरिवंसो। नेमिजिणेऽवरकंकागमणं कण्हस्स संपत्तं // 467 // इत्थीतित्थं मल्ली पूआ अस्संजयाण नवमजिणे। अवसेसा अच्छेरा वीरजिणिदस्स तित्थम्मि सव्वं च तवोकम्मं अपाणयं आसि वीरनाहस्स / छच्चउतिदुगेगमासे एगनव दुछक्क बारस अकासी। दो दो दिवड्डेऽड्डाइयमासे बावत्तरी पक्खे // 469 // दुचउदसदिणा पडिमा भद्द महाभद्द सव्वओभद्दा / / बारसअट्ठम तह बारसेगराई तिदेवसिया // 470 // पंचदिणूण छमासिय खवणं कोसंबिए तु तमकासि / दुन्नि सएगुणतीसे अकासि तं छट्ठखमणाणं // 471 // दिवसूणाऽद्धट्ठसया पारणया पढमवयदिणं चेगं। इय तेरस पक्खाहिय बारसवरिसावसाणं ते // 472 // भीमावलि१ जियसत्तूर भद्दो३ विस्साहलोय४ सुप्रइट्ठो५ / अचलो य६ पुंडरीओ७ अजियंधर८ अजियनाहो य९ // 473 // पेढालु च्चिय दसमो१० इक्कारसमो य सच्चइसुय त्ति११ / एए रुनामा इक्कारस हुंति अंगहरा // 474 // 24