________________ जं कुकम्मे पावं तं पावं होइ आलमेगं च / भवसयएगावने आलं तं गमण परइत्थी // 450 // नव्वाणुसयभवपरइत्थी-गमणेणं होइ जं पावं / तं पावं रयणीए भोयणकरणेण जीवाणं // 451 // पाणाइ दुगुण साइमं साइमतिगुणेण खाइमं होइ। खाइमतिगुणं असणं राईभोए मुणेयव्वं // 452 // जं चेव राइभोयणे ते दोसा अंधयारम्मि / जे चेव अंधयारे ते दोसा संकडमुहम्मि // 453 // नयणे न दीसई जीवा रयणीए अंधयारम्मि। रयणीए वि निप्फन्नं दिणभुत्तं राइभोअणं // 454 // ओरालिय 1 वेउब्विय 2 आहार 3 तेउ 4 कम्म 5 पणदेहा / नरतिरिय पढम बीयं सुरनारय तइय पुव्वधरे . // 455 // चत्तारि वाराओ चउदसपुव्वी करेइ आहारं। संसारम्मि वसंता एगभवे दुनि वाराओ . // 456 // आहारपरिणामहेऊ जं होइ तेयलेसाओ। . . जं कम्मवग्गणाणं आहारो तं तु सव्वजिए // 457 // विणए सीसपरिक्खा सुहडपरिक्खा य होइ संगामे / वसणे मित्तपरिक्खा दाणपरिक्खा व दुक्काले // 458 // कत्थ वि धणं न दाणं कत्थ वि दाणं न निम्मलं वयणं / धणदाणमाणसहिया ते पुरिसा तुच्छ संसारे // 459 / / कत्थ वि फलं न छाया कत्थ वि छाया न सीयलं सलिलं / जलफलछायासहिया तं पि अ सरोवरं विमलं . // 460 // कत्थ वि जीवो बलिओ कत्थ वि कम्माई हुंति बलिआई। . जीवस्स य कम्मस्स य पुव्वनिबद्धाइं वयराइं // 461 // . . . 183