________________ विक्खंभवड्ढणस्स उ दसकरणिगुणस्स जं हवति मूलं / परिस्यवड्ढी जाणे तहिं तहिं मंडले रविणो . // 231 // सत्तरस जोयणाणि तु परिरयवड्ढी तु मंडले णियता। अट्ठत्तीसं भागा एगट्ठिगतेण छेदेणं // 232 // रूवूणमंडलगुणं परिधीवड्ढी उ पक्खिवे णियमा / पढमपरिधीपमाणे सो परिधी मंडले तम्मि // 233 // चंदस्स वि णातव्वा परिरयवड्ढी उ मंडले णियमा / दो च्चेव जोयणसता तीसा खलु होंति साधीगा // 234 // छहिं मासेहिं दिणकसे तेसीतं चरति मंडलसतं तु / अयणम्मि उत्तरे दाहिणे य एसो विधी होति // 235 // तेसीतं दिवससयं अयणं सूरस्स हवइ पडिपुण्णं / सुण तस्स कारिगविधि पुव्वायरिओवदेसेणं // 236 // सूरस्स अयणकरणं पव्वं पण्णरससंगुणं णियमा / तिधिसंखितं संतं बावट्ठीभागपरिहीणं // 237 // तेसीतसतविभत्तम्मि तम्मि लद्धम्मि रूवमादेज्जा / जति लद्धं होति समं णातव्वं उत्तरं अयणं // 238 // अध हवति भागलद्धं विसमं जाणाहि दक्खिणं अयणं / जे अंसा ते दिवसा होति पवत्तस्स अयणस्स // 239 // तेरस य मंडलाइं चतुचत्ता सत्तसट्ठिभागा य / अयणेण चरइ सोमो णक्खत्ते अद्धमासेणं // 240 // चंदस्स अयणकरणे पव्वं पण्णरससंगुणं णियमा / . तिधिसंखित्तं संतं बावट्ठीभागपरिहीणं // 241 // णक्खत्तअद्धमासे भजितम्मि लद्धम्मि रूवर्मादेज्जा / जदि लद्धं हवति समं णातव्वं दक्खिणं अयणं. // 242 // 200