________________ तिण्णेव सयसहस्सा अट्ठारस होति. जोयणसहस्सा / तिण्णि सता पण्णारा बाहिरए मंडले रविणो // 207 // दस चेव मंडलाइं अभिंतर-बाहिरा रवि-ससीणं / सामण्णाणि तु णियमा पत्तेयं पंच चंदस्स // 208 // चंदंतरेसु अट्ठसु अभिंतर-बाहिरेसु सूरस्स / बारस बारस सग्ग्रा, छसुतेरस तेरस हवंति : // 209 // चंदविकप्पं एकं सूरविकप्पेण भाजये णियमा / . जं हवति भागलद्धं सूरविकप्पा उ ते होंति // 210 // बे जोयणाणि सूरस्स मंडलाणं तुः हवति अंतरिया / . चंदस्स वि पणतीसं साधीगा होति णातव्वा // 211 // सूरविकप्पो एक्को समंडला होति मंडलंतरिया / चंदविकप्पो य तहा समंडला' मंडलंतरिया // 212 // पंचेव जोयणसया दसुत्तरा जत्थ मंडला होति / / जं अक्कमंति तिरियं चंदो सूरो य अयणेणं // 213 // सूरस्सेसा कट्ठा अट्ठहिं भागेहिं ऊणिया णियमा / एगट्ठिभागछेज्जा कट्ठा चंदस्स एवतिया // 214 // सगमंडलेहि लद्धं सगकट्ठातो हवंति सविकप्पा / जं सगविक्खंभगुणा हवंति सगमंडलंतरिया - // 215 // इच्छा तु मग्गरूवूणगुणं अब्भंतरं तु सूरस्स / तस्सेसं सामण्णं सामण्णविसेसितं ससिणो // 216 // छट्ठादी रविसेसं रवि-ससिणो अंतरं तु णातव्वं / तं च ससि सुद्ध सूरंतरा हितं अंतरं बाहि // 217 // जत्थ ण सुज्झति सोमो तं ससिणो तत्थ होति पत्तेयं / तस्सेसं सामण्णं सामण्णविसेसितं रविणो' // 218 // 24