________________ णक्खत्त-सूरजोगो मुहुत्तरासीगतो तु. पंचगुणो / सत्तट्टीय विभत्तो लद्धो चंदस्स सो जोगो // 183 // नक्खत्ताणं जोगा चंदाऽऽदिच्चेसु करणसंजुत्ता / . भणिया, सुणाहि एत्तो पविभागं मंडलाणं तु // 184 // इणमो य समुद्दिवो जंबुद्दीवो रधंगसंठाणो / विक्खंभो सतसहस्सं तु जोयणाणं भवे एक्कं // 185 // भरधं 1 तध हेमवतं 2 हरिवासं 3 तह विदेहवासं 4 च / रम्मगमेरण्णवतं 5-6 एरवतं 7 सत्तमं वासं . // 186 // चुल्ल-महाहिमवंतो 1-2 णिसधो 3 तह णेलवंत 4 रुप्पी 5 य / सिहरी 6 य णाम सेलो छ व्वासधरा हवंतेते // 187 // वासा वासधराणि य हवंति पुव्वाऽवरायता सव्वे / भरधं दक्खिणपासे, उत्तरतो होति एरवतं . // 188 // भरहेरवतप्पभितिं दुगुणो दुगुणो तु होति विक्खंभो। वासा-वासधरेसु य जाव तु वासं विदेहं तु // 189 // पंचेव जोयणसता छव्वीसा होति भरहविक्खंभो / छ च्चेव य होंति कला एगुणवीसेण छेदेण // 190 // ओगाहूणं विक्खंभ मो तु ओगाहसंगुणं कुज्जा / चतुहि गुणितस्स मूलं सा जीवा वऽत्थ णातव्वा // 191 // उसुवग्गं छग्गुणितं जीवावग्गम्मि पक्खिवित्ताणं / जं तस्स वग्गमूलं तं धणुकटुं वियाणाहि // 192 // धणुवग्गातो णियमा जीवावग्गं विसोधइत्ताणं / . सेसस्स दु छब्भागो तस्स तु मूलं उसू हवति // 193 // छग्गुणमुसुस्स वग्गं धणुवग्गातो विसोहंइत्ताणं / सेसस्स वग्गमूलं तं खलु जीवं वियाणाहि // 194 // 22