________________ अट्ठारस भागसते पणतीसे गच्छते मुहुत्तेणं / णक्खत्तं, चंदो पुण सत्तरस सते तु अट्ठढे // 159 / / अट्ठारस भागसते तीसे वच्चति रखी मुहत्तेणं / / णक्खत्तसीमछेदो सो च्चेव इहं पि णातव्वो // 160 // जोयणगणणारहिया एस गती वणिया अहाथूरा / . णक्खत्त-चंदजोगे एत्तो वोच्छं समासेणं // 161 // अभिइस्स चंदजोगो सत्तढिखंडितो अहोरत्तो / भागा तु एक्कवीसं ते होज्जऽधिगा णव मुहत्ता // 162 // सयभिस भरणी अद्दाऽसिलेस साती तहेव जेट्ठाओ। . . एते छ ण्णक्खत्ता अद्धक्खेत्ता मुणेयव्वा // 163 // तिण्णेव उत्तराई पुणव्वसू रोहिणी विसाहा य / एते छ ण्णक्खत्ता दिवड्डखेचा मुणेयव्वा // 164 // अवसेसा णक्खत्ता पण्णरस वि होंति तीसइमुहुत्ता / चंदम्मि एस जोगो. णक्खत्ताणं समक्खाओ .. // 165 // एतेसिं रिक्खाणं आदाण-विसग्गजोयणाकरणं / / चंदम्मि य सूरम्मि य वोच्छामि अहाणुपुव्वीय // 166 // पव्वं पण्णरसगुणं तिधिसहितं ओमरत्तपरिहीणं / बासीतीय विभत्ते लद्धे अंसे वियाणाहि // 167 // जं हवइ भागलद्धं तं कातव्वं चतुग्गुणं णियमा / अभियिस्स एक्कवीसं भागे सोधेहि लद्धम्मि // 168 // सेसाणं रासीणं सत्तावीसं तु मंडलं सोझं / . अभियिस्स साधणासंभवे तु इणमो विधी होति // 169 // सेसातो रासीतो रूवं घेत्तूण सत्तसट्ठिकतं / पक्खिव लद्धेसु पुणो अभिजिइ सोधेतु पुव्वकमा // 170 // 270