________________ // 192 // // 193 // // 194 // // 195 // // 196 // // 197 // फलिहा तहिं नागदंता य सिक्का तहिं वयरमया / तत्थ उ होंति समुग्गा, जिणसकहा तत्थ पन्नत्ता माणवगस्स उ पुव्वेण, आसणं पच्छिमेण सयणिज्ज / उत्तरओ सयणिज्जस्स य, होइ इंदज्झओ तुंगो पहरणकोसो इंदज्झयस्स, अवरेण इत्थ चोपालो। फलिहप्पामोक्खाणं, निक्खेवनिही पहरणाणं जिणदेवच्छंदओ जिणघरम्मि पडिमाण तत्थ अट्ठसयं / चामरधराणं खलु, पुरओ घंटाण अट्ठसयं सेस सभाण उ मज्झे, हवंति मणिपेढिया परमरम्मा। तत्थासणा महरिहा, उववायसभाए सयणिज्जं मुहमंडव पेच्छाहर, हरउ दायसह(दोयसय)पमाणाई। थूभाओ अट्ठ उ भवे, दारस्स उ मंडवाणं तुः उव्विद्धा वीस उ गया य, वित्थिण्णं जोयणद्धं तु। . माणवग महिंदज्झय, हवंति इंदज्झया चेव . जिणदुसुहम्मचेइयघरेसु जा पेढिया य तत्थ भवे। चउजोयणबाहल्ला, अट्ठेव य वित्थडायामा सेसा चउ आयामा, बाहल्लं दोणि जोयणा तेहिं / सव्वे य चेइयदुमा, अद्वैव य जोयणुविद्धा .. छज्जोयणाइ विडिमा, उव्विद्धा अट्ट होइ वित्थिण्णां / खंधाओ जोयणाओ, विक्खंभोव्वेहओ कोसं नगरीए उत्तरेण य खलु जोयणाण लक्खा उ। अरुणोदगे समुद्दे, गंतूणं पंच आवासा पढमे सयंपभे चेव, तत्तो खलु होइ पुप्फकेउ य / पुप्फावत्ते पुष्फप्पभे य पुप्फुत्तरावासे // 198 // // 199 // // 200 // // 201 // // 202 // // 203 //