________________ // 24 // // 25 // // 26 // // 27 // // 28 // // 29 // मंदविउवायणत्थं एए पंचदस दंसिया भेया। उत्तरभेया पविसंति अन्नहा आइभेयदुगे अह पढमसमयसिद्धा-ऽपढमसमयसिद्धपमुहभेएहिं। कालं पडुच्च मुत्ता अणेगहा होंति बोधव्वा इंदिय-जाइ-भवेहि तिविहा संसारिणो पुणो जीवा / जं बोहं पइ करणं तमिदियं वन्नियं तत्थ एयमहिगिच्च एगिदियाइभेएहिं पंचहा जीवा / फरिसणमित्तेण जया एगिदिय पुढविमाईया तेण य रसणेण य संगया उ बेइंदिया किमिप्पमुहा / एएहि सघाणेहिं तिइंदिया कीडियापुव्वा . चउरिदिया समेया तेहिं सनेत्तेहिं मक्खियामुक्खा / पंचिंदिया इमेहिं सवणसणाहेहिं मणुयाई जाई पुण सामन्नं भन्नइ तं पईय छव्विहा जीवा / पुढवी-जल-जलण-मारुय-वणस्सइ-तसकायभेएहिं . नीरनिमज्जण-दवया-उसिणत्त-चलत्त-तरण-तसणेहिं / नाणत्तं नायव्वं पुढवीकायाइकायाणं इह तसकायं पायं जीवत्तेणं पवज्जए सव्वो। न उ पुढवाई पंच वि साहिज्जइ तेण त तेसिं मंसंकुरो इव समाणजाइरूवंकुरोवलंभाओ। पुढवीविद्दुमलवणीवलादओ हुंति सच्चित्ता. भूमिक्खयसाहावियसंभवओ दडुरो व्व जलमुत्तं / अहवा मच्छो व्व सहाववोमसंभूयपायाओ आहाराओ अनलो विद्धिविगारोवलंभओ जीवो। अपरप्पेरियतिरियानियमियदिग्गमणओ अनिलो . 235 // 30 // // 31 // // 32 // // 34 // // 35 //