________________ // 27 // // 28 // // 29 // // 30 // // 31 // // 32 // अहवा वि कसाएहिं, नाणाईणं विराहओ जो य / सो नाणाइकुसीलो, नेओ वक्खाणभेएण अन्ने लिंगकुसीलं तु, तवकुसीलस्स ठाणए बिंति / निग्गंथो पुण गंथाओ, मोहओ निग्गओ जो सो उवसामओ य खवओ, दुहा निग्गंथो दुहा वि पंचविहो / पढमसमओ अपढमो, चरमाचरमो अहासुहुमो अंतमुहत्तपमाणय-निग्गंथद्धाइ पढमसमयम्मि। पढमसमओ नियंठो अनेसु अपढमसमओ सो एमेव तयद्धाए, चरमे समयम्मि चरमसमओ सो। सेसेसु पुण अचरमो, सामनेणं तु अहसुहुमो सुहझाणजलविशुद्धो, कम्ममलाविक्खया सिणाओ त्ति / दुविहो य सो सजोगी, तहा अजोगी विणिट्ठिो सो पुण पंचवियप्पो, अच्छविओ असबलो अकम्मंसो। . अप्परिसावी संसुद्ध-नाणदंसणधरो तह य . भण्णइ च्छवी सरीरं, जोगनिरोहेण तस्स य अभावे। अच्छवि त्ति होइ अहवा, खय अभावेण अच्छविओ अस्सबलोऽणइयारो, निट्ठियकम्मो य अकम्मंसो।। निस्सेसजोगरोहे, अपरिस्सावी अकिरियत्ता . असहाय असाहारण अणंतनाणाइधरणओ होइ। . संसुद्धनाणदंसंणधरो, सिणाओऽत्थ पंचविहो थीवज्जो उ पुलाओ, बउस्स पडिसेवगा तिवेया वि। सकसाओ य तिवेओ उवसंतक्खीणवेओ वा उवसंतखीणवेओ, निग्गंथो ण्हायओ खविअवेओ। एवं चि य रागम्मि वि आइम चउरो सराग त्ति // 33 // // 34 // // 35 // // 37 // // 38 // 217