________________ - // 1 // // 2 // // 3 // . // 4 // श्रीनेमिचन्द्र सैद्धान्तिककृतः ॥षद्रव्यसङ्ग्रहः / / जीवमंजीवं दव्वं जिणवरवसहेण जेण णिद्दिटुं। देविंदविंदवंदं वंदे तं सव्वदा सिरसा जीवो उवओगमओ अमुत्ती कत्ता सदेहपरिमाणो / भोत्ता संसारत्थो सिद्धो सो विस्ससोड्डगई तिक्काले चउपाणा इंदियबलमाउ आणपाणो य / ववहारा सो जीवो णिच्छयणयदो दु चेयणा जस्स उवओगो दुवियप्पो दसणणाणं च दंसणं चउधा / चक्खु - अक्खु - ओही-दसणमथ केवलं णेयं णाणं अट्ठवियप्पं मदिसुदओहीअणाणणाणाणि / मणपज्जवकेवलमवि पच्चक्खपरोक्खभेयं च / अट्ठचउणाणदंसणसामण्णं जीवलक्खणं भणियं / ववहारा सुद्धयणा सुद्धं पुण दंसणं णाणं वनरसपंचगंधा दो फासा अट्ठ णिच्छया जीवे / णो संति अमुत्ति तदो ववहारा मुत्ति बंधादो पुग्गलकम्मादीणं कत्ता ववहारदो दु णिच्छयदो। चेदणकम्मा णादा सुद्धणया सुद्धभावाणं / ववहारा सुहदुक्खं पुग्गलकम्मफलं पभुंजेदि / आदा णिच्छयणयदो चेदणभावो खु आदस्स अणुगुरुदेहप्पमाणो उवसंहारव्विसप्पदो चेदा / असमुहदोववहाराणिच्छयणयदोअसंखदेसोवा पुढविजलतेउवाउवणप्फुदी विविहथावरेंदी / ' . . बिगतिगचउपंचक्खा तसजीवा होति संखादी . // 8 // // 9 // दा चदा। // 10 // // 11 // 54