________________ // 44 // // 45 // // 46 // // 47 // // 48 // // 49 // वीरजिणा गुणवीसं, सएहिँ पण मास बार वरिसेहिं / चंडालकुले होही, पाडलिपुरि समणपडिकूलों चित्तट्ठम्मि विट्ठिभवो, कक्की रुद्दो चउम्मुह तिनामा / अट्ठारहारसपनवरिस, सिसुदिसिविजयरज्जे तं मुणिभिक्खछलंसं, मग्गंतं हणिय विप्परूव हरी / तस्सुअ दत्तं रज्जं, पइदिणचेइयकरं ठविही गुणवीसा सोले हिय, गहियसोलुखप्परकुरज्जे / सो काही बहुवच्छर-अपुज्जसित्तुंजओद्धारं तस्सुअ जिणदत्ताई-निवा नमिस्संति पाडिवयमाई / तइया कहं पि होही, तह जाइसरोहिनाणाई जिणभत्तनिवाउ इगारसलक्खसोलसहस्स होहिंति / . इहयं वरिससऊणे-गवीससहसेहिं वीरजिणा तह सग्गचुओ सूरी, दुप्पसहो साहुणी अ फग्गुसीरि / नाइल सड्ढो सड्ढी, सच्चसिरी अंतिमो संघो. एगो साहू एगा य साहुणी सावओ य सड्ढी वा / आणाजुत्तो संघो, सेसो पुण अट्ठिसंघाओ दसयालियजिअकप्पा-वस्सयअणुओगदारनंदिधरो / संययं इंदाइनओ, छठुग्गतवों दुहत्थतणू .. गिहि वय गुरूत्त बारस, चउ चउ वरिसो कयट्ठमो अंते सोहर्मि सागराऊ, होइ तओ सिज्झिही भरहे सुअसूरिसंघधम्मो, पुव्वण्हे छिज्जिही अगणि सायं / निवविमलवाहणो सुह-ममंति नयधम्ममज्झण्हे तो खारग्गिसंबिल विज्जुघणा सगदिणा पिहु कुपवणा / वरिसिय बहुरोगिजलं, कार्हिति समं गिरिथलाई // 50 // // 51 // // 52 // // 53 // // 54 // // 55 // 325