________________ तेनाऽयं सकलोऽपि भव्यनिवहस्त्वच्छासने भक्तिमान्, भूत्वा भद्रशतान्यवाप्य च परामालम्ब्यतां निर्वृतिम् // 34 // // 1 // // 2 // // 4 // // नन्दीश्वरस्तवः // वंदिय नंदियलोयं जिणविसरं विमलकेवलालोयं / नंदीसरचेइयसंथवेण थोसामि तं चेव जोयणकोडिसयतिस?'चउरसी लक्खा वलयविक्खंभो / अट्ठमदीवो नंदीसरु त्तिऽसइ विलसिरसुरोहो . तब्बहुमज्झे चउरो दिसासु अंजणगिरी गवलवन्ना / जोयणसहस्स चुलसीइ सहसुसिया सहसमोगाढा भूमितले दससहसा चउणवइ सया सहसमुवरितले। पिहुला अडवीसं सत्तिगं दसंसो य खयवुड्ढी पुवदिसि देवरमणो निच्चुज्जोओ य दाहिणदिसाए / अवरदिसाए सयंपभरमणिज्जो उत्तरे पासे / अंजणगाण चउद्दिसि जोयणलक्खम्मि लक्खविक्खंभा / पुक्खरिणीओ सहस्सुव्वेहा निम्मट्ठसच्छजला नंदिसेणा अमोहा य, गोच्छुब्भा य सुदंसणा / नंदुत्तरा य आनंदा, सुनंदा नंदिवद्धणा भद्दा विसाला कुमुया, बारसी पुंडरीगिणी / विजया य वेजयंती, जयंती अपराजिया पुव्वादिकमा नामा पुक्खरिणीणं तओ य पंचसए / गंतूण लक्खदीहा वणसंडा पंचसयपिहुला पुव्वेण असोगवणं दाहिणओ ताण सत्तवनवणं / चंपगवणमवरेणुत्तरेण सव्वाणुचूयवणं // 5 // // 6 // // 7 // // 8 // // 9 // // 10 // 274