________________ अट्ठकसायासाए य असुभधुवबंधि अस्थिरतिगे य / / सव्वलहुं खवणाए अहापवत्तस्स चरिमम्मि // 204 / पुरिसे संजलणतिगे य घोलमाणेण चरमबद्धस्स / सगअंतिमे असाएण समा अरई य सोगो य // 205 // वेउव्विक्कारसगं उव्वलियं बंधिऊण अप्पद्धं / जिट्ठठिई निरयाओ उव्वट्टित्ता अबन्धित्तु / // 206 // थावरगयस्स चिरउव्वंलणे एयस्स एव उच्चस्स / मणुयदुगस्स य तेउसु वाउसु वा सुहुमंबद्धाणं // 207 // हस्सं कालं बन्धिय विरओ आहारसत्तगं गंतुं / अविरइमहुव्वलंतस्स तस्स जा थोव उव्वलणा // 20 // तेवट्ठिसयं उदहीण स चउपल्लाहियं अबन्धित्ता / अंते अहप्पवत्तकरणस्स उज्जोवतिरियंदुगे // 209 // इगविगलिंदियजोग्गा अट्ठ पज्जत्तगेण सह तासि / तिरियगइसमं नवरं पंचासीइउदहिसयं तु छत्तीसाए सुभाणं सेढिमणारुहिय सेसगविहीहि / कटु जहन्नं खवणं अपुव्वकरणालिया अंते // 211 // सम्मदिट्ठिअजोग्गाण सोलसण्हं पि असुभपगईणं / थीवेएण सरिसगं नवरं पढमं तिपल्लेसु // 212 // नरतिरियाण तिपल्लस्संते ओरालियस्स पाउग्गा / तित्थयरस्स य बन्धा जहन्नओ आलिगं गंतुं // 213 // उव्वट्टणा ठिईए उदयावलियाए बाहिरठिईणं। . होइ अबाह अइच्छावणाउ जावालिया हस्सा / // 214 / आवलियअसंखभागाइ जाव कम्मट्ठिइ त्ति निक्खेवो / समउत्तरालियाए साबाहाए भवे ऊणे // 215 246