________________ जोगुक्कोसं चरिमदुचरिमे समए य चरिमसमयम्मि / संपुण्णगुणियकम्मो पगयं तेणेह सामित्ते // 18 // तत्तो उव्वट्टित्ता आवलिगासमयतब्भवत्थस्स। .. आवरणविग्घचोद्दसगोरालियसत्त उक्कोसो .: // 18 // कम्मचउक्के असुभाण बज्झमाणीण सुहुमरागते / संछोभणम्मि नियगे चउवीसाए नियट्टिस्स // 182 / / तत्तो अणंतरागयसमयादुक्कस्स सायबंधद्धं / बंधिय असायबंधालिगंतसमयम्मि सायस्स // 183 // संछोभणाए दोण्हं मोहाणं वेयगस्स खणसेसे। उप्पाइय सम्मत्तं मिच्छत्तगए तमतमाए // 184 // भिन्नमुहुत्ते सेसे तच्चरमावस्सगाणि किच्चेत्थ / संजोयणा विसंजोयगस्स संछोभणा एसि // 185 // ईसाणागयपुरिसस्स इत्थियाए व अट्ठवासाए / मासपुहुत्तब्भहिए नपुंसगे सव्वसंकमणे // 186 // इत्थीए भोगभूमिसु जीविय वासाणऽसंखियाणि तओ। हस्सठिई देवत्ता सव्वलहुं सव्वसंछोभे // 187 // वरिसवरित्थिं पूरिय सम्मत्तमसंखवासियं लहिउं / गंता मिच्छत्तमओ जहन्नदेवट्टिई भोच्चा // 188 // आगंतुं लहुं पुरिसं संछुभमाणस्स पुरिसवेयस्स / तस्सेव सगे कोहस्स माणमायाणमवि कसिणो // 189 / चउरुवसमित्तु खिप्पं लोभजसाणं ससंकमस्संते। . सुभधुवबंधिगनामाणावलिगं गंतुं बंधता . // 190 / निद्दसमा य थिरसुभा सम्मद्दिट्ठिस्स सुभधुवाओ वि / सुभसंघयणजुयाओ बत्तीससयोदहिचियाओ . // 191