________________ श्रीमच्छिवशर्मसूरीश्वरप्रणीता // कर्मप्रकृतिः // सिद्धं सिद्धत्थसुयं, वंदिय निद्धोयसव्वकम्ममलं / कम्मट्ठगस्स करणट्ठगुदयसंताणि वोच्छामि // 1 // बंधण 1 संकमणु 2 व्वट्टणा य 3 अववट्टणा 4 उदीरणया 5 / / उवसामणा 6 निहत्ती 7 निकायणा 8 च त्ति करणाइं // 2 // विरियंतरायदेसक्खएण सव्वक्खएण वा लद्धी / अभिसंधिजमियरं वा तत्तो विरियं सलेसस्स // 3 // परिणामालंबणगहणसाहणं तेण लद्धनामतिगं / कज्जऽब्भासऽण्णोण्णप्पवेसविसमीकयपएसं // 4 // अविभाग 1 वग्ग 2 फड्डग 3 अंतर 4 ठाणं 5 अणंतरोवणिहा 6 / जोगे परंपरा 7 वुड्ढि 8 समय 9 जीवप्पबहुगं 10 च पण्णाछेयणछिना, लोगासंखेज्जगप्पएससमा / अविभागा एक्कक्के, होंति पएसे जहन्नेणं जेसिं पएसाण समा, अविभागा सव्वतो य थोवतमा / ते वग्गणा जहन्ना, अविभागहिया परंपरओ // 7 // सेढिअसंखिअमित्ता, फड्डंगमेत्तो अणंतरा नत्थि / जाव असंखा लोगा, तो बीयाई य पुव्वसमा // 8 // सेढिअसंखिअमेत्ताई, फड्डगाई जहन्नयं ठाणं / फड्गपरिवुड्डि अओ, अंगुलभागो. असंखतमो // 9 // सेढिअसंखियभागं, गंतुं गंतुं हवंति दुगुणाइ / पल्लासंखियभागो, नाणागुणहाणिठाणाणि // 10 // वुड्डिहाणिचउक्कं तम्हा कालोऽत्थ अंतिमल्लीणं / अंतोमुहुत्तमावलि असंखभागो य सेसाणं // 11 // 22