________________ पुरिसत्तं सन्नित्तं, सयपुहत्तं तु होइ अयराणं / थी पलियसयपुहुत्तं, नपुंसगत्तं अणंतद्धा // 82 // बायरपज्जेगिदियविगलाण य वाससहस्स संखेज्जा / अपज्जत्तसुहुमसाहारणाण पत्तेगमंतमुहू // 83 // पत्तेयबायरस्स उ, परमा हरियस्स होइ कायठिई / ओसप्पिणी असंखा, साहारत्तं रिउगइयत्तं // 84 // मोहठिइ बायराणं, सुहमाण असंखया भवे लोगा। साहारणेसु दो सद्धपुग्गला निव्विसेसाणं // 85 // सासणमीसाओ हवंति सन्तया पलियसंखइगकाला / ..... उवसामगउवसंता, समयाओ अंतरमुहत्तं // 86 // खवगा खीणा जोगी होंति अणिच्चा वि अंतरमुहत्तं / नाणाजीवे तं चिय, सत्तहि समएहिं अब्भहियं // 87 // एगिदित्तं सययं तसत्तणं सम्मदेसचारित्तं / आवलियासंखंसं, अडसमय चरित्तसिद्धी य . // 88 // उवसमसेढीउवसंतया य मणुयत्तणुत्तरसुरत्तं / . . पडिवज्जते समया संखेया खवगसेढी य // 8 // बत्तीसा अडयाला, सट्ठी बावत्तरी य चुलसीई। छनउइ दुअट्ठसयं, एगाए जहुत्तरे समए // 90 // गब्भयतिरिमणुसुरनारयाण विरहो मुहत्तबारसगं / मुच्छिमनराण चउवीस, विगलअमणाण अंतमुहू // 91 // तसबायरसाहारणअसनिअपुमाण जो ठिईकालो / सो इयराणं विरहो, एवं हरियेयराणं च // 92 // आईसाणं अमरस्स अंतरं हीणयं मुहुत्तंतो। आसहसारे अच्चुयणुत्तर दिण मास वास नव - // 93 // 150