________________ जह तं बहुं पसाहइ निवडइ अस्संजमे दढं न जओ। .. जणिउज्जमं बहूणं विसेसकिरियं तहाढवइ // 116 // गुरुगच्छुन्नइहेडं कयतित्थपभावणं निरासंसो। अज्जमहागिरिचरियं समरंतो कुणइ सक्किरियं गगिनिरियं समांतो कणड सक्किरियं // 117 // सक्कम्मि नो पमायइ असक्ककज्जे पवित्तिमकुणंतो। सक्कारंभो चरणं विसुद्धमणुपालए एवं // 118 // जो गुरुमवमनंतो आरंभइ किर असक्कमवि किंचि / सिवभूइ व्व न एसो सम्मारंभो महामोहा // 119 // जायइ गुणेसु रागो सुद्धचरित्तस्स नियमओ पवरो / परिहरइ तओ दोसे गुणगणमालिन्नसंजणणे // 120 // गुणलेसं पि पसंसइ गुरुगुणबुद्धीए परगयं एसो / दोसलवेण वि निययं गुणनिवहं निग्गुण गणइ // 121 // पालइ संपत्तगुणं गुणड्ढसंगे पमोयमुव्वहइ / उज्जमइ भावसारं गुरुतरगुणरयणलाभत्थी . // 122 // सयणो त्ति व सीसो त्ति व उवगारि त्ति व गणिव्वओ व त्ति / पडिबंधस्स न हेऊ नियमा एयस्स गुणहीणो // 123 // करुणावसेण नवरं अणुसासइ तं पि सुद्धमग्गम्मि / अच्चंताजोग्गं पुण अरत्तदुट्ठो उवेहेइ // 124 // उत्तमगुणाणुराया कालाइदोसओ अपत्ता वि / गुणसंपया परत्थ वि न दुल्लहा होइ भव्वाणं // 125 // गुरुपयसेवानिरओ गुरुआणाराहणम्मि तल्लिच्छो / .. चरणभरधरणसत्तो होइ जई नन्नहा नियमा // 126 // सव्वगुणमूलभूओ भणिओ आयारपढमसुत्ते जं। . गुरुकुलवासोवस्सं वसेज्ज तो तत्थ चरणत्थी - // 127 // 200