________________ // 102 // जा जयमाणस्स भवे विराहणा सुत्तविहिसमग्गस्स / सा होइ निज्जरफला अज्झत्थविसोहिजुत्तस्स . इच्चेयं जिणवल्लहेण गणिणा जं पिण्डनिज्जुत्तिओ, किंची पिण्डविहाणजाणणकए भव्वाण सव्वाण वि / वुत्तं सुत्तनिउत्तसुद्धमइणा भत्तीइ सत्तीइ तं, सव्वं भव्वममच्छरा सुयहरा बोहिंतु सोहिंतु य // 103 // पू.आ.श्री.भावदेवसूरिसंकलिता // यतिदिनचर्या // वीरं नमिऊण जिणं सुआणुसारेण सुद्धभावेण / / वुच्छामि समासेणं सामायारिं जईण हियं जग्गइ सव्वो वि मुणी पच्छिमजामे निसाय पभणंतो। परमिट्ठिनमुक्कारं समरइ देवगुरुतित्थाई किं नायरामि किच्चं ? किं कयमहियं ? अभिग्गहो को वा ? | अप्पा परो वि पासइ किं मह ? इय चिंतइ महप्पा // 3 // आवस्सियाएँ थंडिल्लदेसे गंतूण काइयं काउं / निसीहियं भणंतो पविसइ इरियं पडिक्कमइ // 4 // गमणागममालोइय कयकुसुमिणकाउसग्गपच्छित्तो / जिणमुणिवंदण पुव्विं उवउत्तो कुणइ सज्झायं कम्ममसंखिज्जभवं खवेइ अणुसमयमेव उवउत्तो। . अन्नयरम्मिवि जोगे सज्झायम्मि य विसेसेणं धम्मीणं जागरिया पुणो अहम्मीण सुत्तया सेयां। तो तह भणइ महप्पा जह पावजिया न जग्गंति - // 7 // 18