________________ // 264 // // 265 // // 266 // // 267 // // 268 // // 269 // बुद्धीइ निएऊणं भासिज्जा उभयलोगपरिसुद्ध। सपरोभयाण जं खलु न सव्वहा पीडजणगं तु . थूलमदत्तादाणे विरई तच्चं दुहा य तं भणियं / सचित्ताचित्तगयं समासओ वीयरागेहिं भेएण लवणघोडगसुवन्नरुप्पाइयं अणेगविहं। वज्जणमिमस्स सम्म पुव्वुत्तेणेव विहिणा उ पडिवज्जिऊण य वयं तस्सइयारे जहाविहिं नाउं। संपुनपालणट्ठा परिहरियव्वा पयत्तेणं , वज्जिज्जा तेनाहडतक्करजोगं विरुद्धरजं च / . कूडतुलकूडमाणं तप्पडिरूवं च ववहारं उचियं मुत्तूण कलं दव्वाइकमागयं च उक्करिसं / निवडियमवि जाणंतो परस्स संतं न गिव्हिज्जा परदारपरिच्चाओ सदारसंतोस मो वि य चउत्थं / दुविहं परदारं खलु उरालवेउविभेएणं वज्जणमिह पुव्वुत्तं पावमिणं जिणवरेहिं पन्नत्तं / . रागाईण नियाणं भवपायवबीयभूयाणं पडिवज्जिऊण य वयं तस्सइयारे जहाविहिं नाउं। संपुनपालणट्ठा परिहरियव्वा पयत्तेणं इत्तरियपरिग्गहियापरिगहियागमणणंगकीडं च / परविवाहक्करणं कामे तिव्वाभिलासं च वज्जिज्जा मोहकरं परजुवइदंसणाइ सवियारं / एए खु मयणबाणा चरित्तपाणे विणासंति सचित्ताचित्तेसुं इच्छापरिणाममो य पंचमयं। .. भणियं अणुव्वयं खलु समासओ शंतनाणिहिं 180 // 270 // // 271 // // 272 // // 273 // // 274 // . // 275 //