________________ रायाभियोगो य गणाभियोगो, बलाभियोगो य सुराभियोगो / कंतारवित्ती गुरुणिग्गहो य, छच्छिंडियाओ जिणसासणम्मि // 12 // अत्थी य णिच्चो कुणई कयाइं, सयाइँ वेइए सुहा-ऽसुहाई / णिव्वाणमत्थी तह तस्सुवाओ, सम्मत्तठाणाणि जिणाहियाणि॥ 13 // मूलं इमं धम्ममहादुमस्स, दारं सुपायारमहापुरस्स / पासायपीढं व दढावगाढं, आहारभूयं धरणी व लोए' // 14 // . . पहाणदव्वाण य भायणं व, माणिक्क-णाणामणिमाइ-मुत्ता- / / सिल-प्पवाला-ऽमललोहियक्ख-सुवण्णपुण्णं व महाणिहाणं।। 15 // एयं महापुण्णफलं सहावसुद्धीएँ लभ्रूण अलद्धपुव्वं / जिणाणमाणाएँ पयट्टियव्वं, विसेसओ सत्तसु ठाणएसु // 16 // बिंबाण चेईहर-पुत्थयाणं, जिणांण साहूण य संजईणं / आणारुईसावय सावियाणं, समायरेज्जा उचियं तमेयं // 17 // वज्जेंदनील-उंजण-चंदकंत-रिटु-ऽक-कक्केयण-विह्यमाणं / सुवण्ण-रुप्पा-ऽमलफालियाण, साराण दव्वाण समुब्भवाओ।। 18 / / महंतभामंडलमंडियाओ, संताओ कंताओ मणोहराओ / भव्वाण णिव्वाणणिबंधणाओ, णिम्मावएज्जा पडिमा वराओ॥ 19 // जिणेंदचंदाण णरेंद-चंद-नागेंद-देवेंदऽभिवंदियाणं / कुज्जा महग्घेहिं महारिहेहिं, अट्ठप्पगारा पडिमाण पूया // 20 // पुप्फेहिँ गंधेहिँ सुगंधिएहिं, धूवेहिँ दीवेहि य अक्खएहिं / णाणाफलेहिं च घएहिँ णिच्चं, पाणीयपुण्णेहि य भायणेहिं // 21 // पूयं कुणंतो बहुमाणवतो, उदारचित्तो जिणभत्तिजुत्तो / . दारिद्द-दोहग्ग-दुरंतदुक्ख-दुव्वण्ण-दुग्गंध-दुरूवयाणं // 22 // संताव-संजोग-वियोग-सोग-णिहीण-दीणत्तणमाइयाणं / तिक्खाण दुक्खाण भवुब्भवाणं, ण भायणं होइ भवंतरे वि // 23 //