________________ वुच्छिनो जिणकप्पो, पडिमाकप्पो अ संपइ नत्थि। सुद्धो अ थेर कप्पो, संघयणाईण हाणीए. . // 45 // तह वि जइ एअ नियमा-राहणविहिए जएज्ज चरणम्मि। .. सम्ममुवउत्तचित्तो, तो नियमाराहगो होइ .: // 46 // एए सव्वे नियमा, जे सम्मं पालयंति वेरग्गा। तेसिं दिक्खा गहिआ, सहला सिवसुहफलं देइ // 47 // // 3 // सिरिदेविंदसूरिविरइयं // दानकुलकम् // परिहरिअ रज्जसारो, उप्पाडिअ संजमिक्कगुरुभारो / खंधाउ देवदूसं, विअरंतो जयउ वीरजिणो धम्मत्थकामभेया, तिविहं दाणं जयम्मि विक्खायं / तह वि अ जिणिंदमुणिणो, धम्मियदाणं पसंसंति दाणं सोहग्गकरं, दाणं आरुग्गकारणं परमं / . दाणं भोगनिहाणं, दाणं ठाणं गुणगणाणं दाणेण फुरइ कित्ती, दाणेण होइ निम्मला कंती / दाणावज्जिअहिअओ, वइरो वि हु पाणियं वहइ धणसत्थवाहजम्मे, जं घयदाणं कयं सुसाहूणं / तक्कारणमुसभजिणो तेलुक्कपियामहो जाओ करुणाई दिनदाणो, जम्मंतरगहिअपुन्नकिरिआणो / तित्थयरचक्करिद्धि, संपत्तो संतिनाहो वि पंचसयसाहुभोयण, दाणावज्जिअसुपुन्नपब्भारो / अच्छरिअ चरिअ भरिओ, भरहो भरहाहिवो जाओ. 84 // 4 // // 6 // // 7 //