________________ // 66 // // 67 // // 68 // // 69 // // 70 // // 71 // न नरु, न इत्थी, संदु, न वि सिज्झइ बाहिरु लिंगु परमप्पा तहिं सिज्झई, तत्तह उवरि किसंगु देहाइ उवहि मुणिउौंबहु अंतरि पुण अप्पाणु / दुह अंतर- नाणह लहइ,परमप्पा निव्वाणु अप्पण नाणह कज्जु परु, बुद्धउ चिरु न धरेइ / किंचि अतप्परु कज्जवसि, वय-काएहिं करेइ सिंचउ झाणजलेण घणु, अप्पारामुऽभिरामु / लेयउ सासयसुक्खफलु, पाविउ भवह विरामु गुण-दोसह संकित्तणिण, कवण पराइय तत्ति / जहि अप्पा परियाणियइ, जिय ! लग्गसु तहिं तत्ति जीवहं बहिरंतरु परमु अप्पा तिविह पयारु / . मज्झोवाया बहि चइउ, लेउ परमप्पा सारु बहिरप्पा इंदियवसगु, देहाइसु जियभंति / चित्त-दोस अप्पा तिसु वि, अंतरु पुण गयभंति निम्मलु केवलु सुद्ध पहु परअप्पा परमिट्ठि। जिणु इय परमप्पा मुणहु, होइउ सम्मदिट्ठि . जहिं जहिं कायहिं पेमु मुणि, तह निव्वत्तिउ अप्पु / बुद्धिहि उत्तम कायधरि, नासइ अप्पा विकप्पु . दिस्सु अचेयणु इंदिएहि, चेयणु पुण अदिस्सु / गेसु तोसु ता कर्हि करउं हउं, मज्झत्थु अवस्सु अप्पह बुद्धि न पेच्छई, अप्पण देहु विसिट्ट। परबुद्धिहिं अन्नेसि न वि, अप्पह तत्ति सुनिट्ठ जं सव्विंदियसंजमिहि, दीसइ सुथिरमणेण / परमप्पह तं तत्तु फुडु मुणियव्वं विबुहेण // 72 // // 73 // // 74 // // 75 // // 76 // // 77 // . 200