________________ // 18 // // 19 // // 20 // // 21 // // 22 // // 23 // थावर-जंगमजीवदया जहिं जाणियइ सया वि। सो जि धम्मु भवभयहरणु, अन्नु न होइ कया वि सव्वि वि आगमु परिभणइं, धम्मतणइं ववहारि। तं पुण सुउ किम कप्पियइ, जु न भासिउ गणहारि? जहिं आगमु मोहतणउ, सो किम आगमु होइ ? / राग-दोस मिल्हे वि खणु, तसु लक्खणु जिय जोइ जाहं न रागु न रोसु जणि, जाहं न विसय कसाय / लोगहियंकर फुडवयण भासई ते जिणराय जह जिणवरिहि अणंतगुण भासिय अत्थ असेस / तह गणहरि मइनाणि फुडु विरइय सुत्तविसेस जं जिणआगमदेसियं, जइ तं करइ पमाणु। . मेल्हिउ कुमय-कुबोहग हु, ता पावइ निव्वाणु जहठिय जिणवरआण बुहु, परिजाणइ मज्झत्थु / / नाणासत्थविसारउ वि, परु न मुणइ परमत्थु निज्जीवहं उवएसडा, मुहिया जंति न भंति / पाणिय घणं विलोडियइ, कर चोपडा न हुंति तीया-ऽणागय-संपईउ, तिक्कालिउ सुयनाणु / तं मुत्तुं को आयरइ, अवर पकप्पिय ठाणु . छउमत्थहं सिद्धंत विणु, अन्नु न कि पि पमाणु / ता सयलु वि आणाइ फुडु सुण धम्माणुट्ठाणु जं तित्थयरिहि भासियं, तं परि तत्तु पमाणु / जं पुण लोगपवाहठिउ, तं सयलु वि अन्नाणु जं जं कि पि समायरिउ, तिग्गारवगुरुएहि / जिणवरवयणिहिं बाहिरं, तं नायरिउ बुहेहिं // 24 // // 25 // // 26 // // 27 // // 28 // // 29 // . 205