________________ - // 7 // जइ य कुमुयकंति वित्थरत्तिं च कित्ति, अभिलसह बुहाणच्छेरयं संजणित्ति ... .. ता दूरं मुक्कसंका विरइकयमणा चत्तमित्थत्तदोसा, साहूणं पायसेवा जिणमयसवणच्चिंतणऽऽक्खित्तचित्ता। . : कालं बोलेह निच्चं पुणरवि दुलहा धम्मसामग्गि एसा, . भुज्जो पाविज्ज जीवा कहमवि न इमं नज्जए जेण सम्मं // 8 // 1 // // 2 // // 3 // // 4 // * द्वादशं कुलकम् / कालस्स अइकिलठ्ठत्तणेण अइसेसपुरिसविरहेण / पायमजुग्गत्तणेणं गुरुकम्मत्तेण य जीयाणं . . किर मुणियजिणमया वि हु अंगीकयसरिसधम्ममग्गा वि। पायमइसंकिलिट्ठा धम्मत्थी वित्थ दीसंति ते किंचि कहिंचि कसायविसलवं धरिय नियमणे गूढं / दरिसंति तब्वियारे अप्परिणयसमयअमयरसा केइ अपुट्ठा पुट्ठा पुरओ तविहजणस्स पयडंति / अन्नपसंगणं चिय परपरिभवमत्तउक्करिसं गुरुमवि गुणमगणंता परस्स दोसं लहुंति पयडंता / अन्नोन्नममत्तं(न)ता जणयंति बहूणं मयि(इ)मोहं . अवरे नियडिपहाणा पयडिय वेसासियं खणं रूवं / सुहलुद्ध मुद्धजणवंचणेण कप्पंति नियवित्ति अवगणियनिजकज्जा, लज्जामज्जायवज्जिया अन्ने / कलर्हिति मिहो बहुविह-बाहिरवत्थूण वि कएण अन्ने दक्खिन्नेण वि(व), सच्छंदमईए अहव जडयाए / . आजीवियाभयेण वि, बहुजणायरणओ वा वि गारवतिगोवरुद्धा, लुद्धा मुद्धाण जुगपहाण त्ति अप्पाणं पयडिता विवरीयं बिंति समयत्थं . 202 // 5 // // 8 // // 9 //