________________ // 24 // // 25 // // 26 // एगंबिलपणकप्पे, तिति नीविनंदिणोगदारेसु / इगनिवियजीयकप्पे, तेरपइन्नेसु तेय इमे / कुसलाणुबधि भत्त, परिना आउरपच्चक्खाणं च / संथारय तह तंडुल-वेयालिय चंदविज्झाय देविदत्थय गणिविज्ज-या य महपच्चक्खाणवीरत्थउ / अज्जीवकप्पगच्छा-यारो तह मरणविधिचरमो सुत्तत्थभत्तकाला-वस्सयसज्झाय तह य संथारे / सगमंडलि सव्व के, मासागुणवीस तिन्निदिणा उत्तरज्जयणासत्तिक्क, भगवई महनिसीहदसमंगं / इअ आगाढा उत्तर-ज्झयणविणा आउत्तवाणम्मि इय सव्वाणुट्ठाणे, नंदी इगवन्नं कालसयचउरो / बावीसय अडुत्तर, सगवीसुस्सास उस्सग्गा इय मुणिणो मुणिऊणं, जोगविहिं विहिअतत्ततवचरणा / चरणकरणोवउत्ता, त्तागु सुत्तं अहिज्जंतु // 27 // // 28 // // 29 // // विविधतपोदिनाकुलकम् // नमिऊण वद्धमाणं, तवस्सरूवं कहेमि भवियाणं / जेण इमे जाणेउं, तवे तवंतीह सिवहेउं . चठवीसजिणाणं पणकल्लाण दिणेसु होडू तवियव्वं / सतीइ नाणपंचमी - तवं पि सययं पि कायव्वं // 2 // पंवलतापुरिमेगा-सण निविगइ अंबिलोववासमया / इंदियजयम्मि चउ पुण, कसायविजए पुरिमवज्ज // 3 // पुरिमेगासणरहिया, तिनिलया हुंति जोगसुद्धीए / नाणे दंसणचरणे, उववासतिगं तिगं होइ - 155 // 4 //