________________ एगूणवीसगस्स उ दिट्ठीवाओ दुवालसममंगं / संपुण्णवीसवरिसो अणुवाई सव्वसुत्तस्स // 588 // उवहाणं पुण आयंबिलाइ जं जस्स वनि सुत्ते / तं तेणेव उ देअं इहरा आणाइआ दोसा / // 589 // जं केवलिणा भणिअं केवलनाणेण तत्तओ नाउं / तस्सऽण्णहा विहाणे आणाभंगो महापावो // 590 // एगेण कयमकज्जं करेइ तप्पच्चया पुणो अन्नो / सायाबहुलपरंपर वोच्छेओ संजमतवाणं . // 591 // मिच्छत्तं लोअस्सा न वयणमेयमिह तत्तओ एवं / वितहासेवण संकाकारणओ अहिगमेअस्स || 592 // एवं चऽणेगभविया तिव्वा सपरोवघाइणी नियमा।। जायइ जिणपडिकुट्ठा विराहणा संजमायाए // 593 // जह चेव उ विहिरहिया मंताई हंदि णेव सिझंति / होंति अ अवयारपरा तहेव एवं पि विनेअं // 594 // ते चेव उ विहिजुत्ता जह सफला हुंति एत्थ लोअम्मि। तह चेव विहाणाओ सुत्तं नियमेण परलोए // 595 // विहिदाणम्मि जिणाणं आणा आराहिया धुवं होइ।। अण्णेसि विहिदंसणकमेण मग्गस्सऽवत्थाणं // 596 // सम्मं जहुत्तकरणे अन्नेसि अप्पणो अ सुपसत्थं / आराहणाऽऽययफला एवं सइ संजमायाणं // 597 // तं पुण विचित्तमित्थं भणियं जं जम्मि जम्मि अंगाओ। . तं जोगविहाणाओ विसेसओ एत्थ णायव्वं // 598 // गुरुणा वि चरणजोए ठिएण देअं विसुद्धभावेणे। भावा भावपसूई पायं लोगे वि सिद्धमिअं // 599 // 50