________________ जं अन्नाणी कम्मं खवेइ बहुआहिं वासकोडीहिं। तं नाणी तिहिं गुत्तो खवेइ ऊसासमित्तेणं // 564 // आयपरसमुत्तारो आणावच्छलदीवणाभत्ती। होइ परदेसिअत्ते अव्वोच्छित्ती य तित्थस्स // 565 // एत्तो तित्थयरत्तं सव्वनुत्तं च जायइ कमेणं / इअ परमं मोक्खंगं सज्झाओ होइ णायव्वो // 566 // एसो य सया विहिणा कायव्वो होइ अप्पमत्तेणं। इहरा उ एअकरणे भणिया उम्मायमाईआ , // 567 // उम्मायं व लभिज्जा रोगायंकं व पाउणे दीहं। . केवलिपन्नत्ताओ धम्माओ वा वि भंसिज्जा // 568 // लहगुरुगुरुतरगम्मि अ अविहिम्मि जंहक्कम इमे णेया। उक्कोसगाविहीओ उक्कोसो धम्मभंसो त्ति ' // 569 / / जोग्गाण कालपत्तं सुत्तं देअंति एस एत्थ विही।। उवहाणादिविसुद्धं सम्मं गुरुणा विं सुद्धेणं . // 570 // सुत्तस्स होंति जोग्गा जे पव्वज्जाएँ नवरमिह गहणे / पाहन्नदंसणत्थं गुणाहिगतरस्स वा देयं // 571 // छलिएण व पव्वज्जाकाले पच्छा वि जाणिअमजोग्गं / तस्स वि न होइ देअं सुत्ताइ इमं च सूएइ * // 572 // पव्वावियस्स वि तहा सुत्ते मुंडावणाइ वि णिसिद्धं / जिणमयपडिकुट्ठस्सा पुव्वायरिया तहा चाहू // 573 // जिणवयणे पडिकुटुं जो पव्वावेइ लोभदोसेणं / चरणट्ठिओ तवस्सी लोएइ तमेव चारित्ती // 574 // पव्वाविओ सिअ त्ति अ मुंडावेउं अणायरणजोगो। अहवा मुंडाविते दोसा अणिवारिया पुरिमा // 575 // 48