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________________ // 492 // || 493 // // .494 // // 495 // // 496 // // 497 // चाउम्मासिय वरिसे उस्सग्गो खित्तदेवयाए उ। पक्खि अ सिज्जसुराए करिति चउमासिए वेगे . पाउसिआई सव्वं विसेससुत्ताओ एत्थ जाणिज्जा। पच्चूसपडिक्कमणं अहक्कम कित्तइस्सामि . सामइयं कड्डित्ता चरित्तसुद्धत्थ पढममेवेह। पणवीसुस्सासं चिअ धीरा उ करिति उस्सग्गं उस्सारिऊण विहिणा सुद्धचरित्ता थयं पकड्डित्ता। दंसणसुद्धिनिमित्तं करिति पणुवीसउस्संग्गं उस्सारिऊण विहिणा कढिति सुयत्थवं तओ पच्छा। . काउस्सग्गमणिययं इहं करेंती उ उवउत्ता पाउसिअथुइमाई अहिगयउस्संग्गचिट्ठपज्जंते / चितिति तत्थ सम्मं अइयारे राइए सव्वे निद्दामत्तो न सरई अइआरे मा य घट्टणं ऽन्नोऽण्णं / किइअकरणदोसा वा गोसाई तिण्णि उस्सग्गा तइए निसाइआरं चिंतइ चरिमे अ किं तवं काहं ? / छम्मासा एगदिणाइहाणि जा पोरिसि नमो वा तइए निसाइआरं चिंतिअ उस्सारिऊण विहिणा उi सिद्धत्थयं पढित्ता पडिक्कमंते जहा पुव्विं सामाइअस्स बहुहा करणं तप्पुव्वगा समणजोगा। सइसरणाओ अ इमं पाएण निदरिसणपरंतु खामित्तु करिति तओ सामाइअपुव्वगं तु उस्सग्गं / . तत्थ य चितिति इमं कत्थ निउत्ता वयं गुरुणा? . जह तस्स न होइ च्चिय हाणी कज्जस्स तह जयंतेवं / छम्मासाइकमेणं जा सकं असढभावाणं 42 // 498 // // 499 // // 500 // // 501 // // 502 // / 503 //
SR No.004452
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages310
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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