________________ आलोयणापरिगओ पावं फेडेइ सयलभवजणियं / जइ निस्सल्लगुणेहिं ससल्लओ तं समज्जेइ // 1486 // पायइ सोयइ पुग्णं पासइ गुडेइ जीववत्थं वा / पावसद्दस्स अत्थो णिज्जुत्तीपएहि विण्णेओ // 1487 // लोयालोयस्स मज्झाया अत्तिलोयत्तिलोयणं तस्स / आसणित्ति संपाडण-मालोयणसद्दणिज्जुत्ती // 1488 // तम्हा अगीओ न वि जाणइ सोही चरणस्स देइ ऊणहियं / तो अप्पाणं आलो-यगं च पाडेइ संसारे // 1489 // ससल्लो जइ वि कट्ठग्गं घोरं वीरं तवं चरे / दिव्वं वाससहस्सं तु तओ वि तं तस्स निप्फलं // 1490 // जइ सुकुसलो वि विज्जो अन्नस्स कहेइ अप्पणो वाहि / एवं जाणंतस्स वि सल्लुद्धरणं गुरुसगासे // 1491 / / अक्खंडियचारित्तो वयगहणाओ य जो य गीयत्थो / तस्स सगासे सणवयगहणसोहिकरणं च // 1492 // आलोयणापरिणओ सम्मं संपट्टिओ गुरुसगासे / जइ अंतरा वि कालं करिज्ज आराहगो तह वि // 1493 // लज्जाइगारवेणं बहुस्सुयमएण को वि दुच्चरियं / जो न कहेइ गुरूणं न न्हु सो आराहगो भणिओ // 1494 // जह बालो जंपतो कज्जमकज्जं च उज्जुयं भणइ / तं तह आलोइज्जा मायामयविप्पमुक्को य // 1495 // संवेगपरं चित्तं काऊणं तेहि तेहिं सुत्तेहिं / सल्लुद्धरणविवाग-दंसगाईहिं आलोए // 1496 // . मायाइदोसरहिओ पइसमयं वड्डमाणसंवेगो / आलोइज्ज अकज्जं न पुणो काहि ति निच्छयओ // 1497 // 29