________________ सम्मत्तंमि उ लद्धे जइ वि गुणा हुंति नो वि पुव्वुत्ता / / तह वि हु संविज्जपए रमइ मुक्खट्ठमेगट्ठा .. // 1450 // पुव्वुत्तं सत्तविहं मिच्छत्तं पत्तमईयकालभावं / / .. भव्वेहिमभव्वेहि-मणंतपुग्गलपरट्टगयं // 1451 // अट्ठममिच्छत्तं पुण भव्वमिच्छेहि णो अभव्वेहि / मग्गाणुसारिमईहिं परमपयर्टी किलिटेहिं // 1452 // नो जिणधम्मे खिसादाहिणकरुणाइगुणसमिद्धेहिं / मंदयरकसाएहि तेहिमिणं मिच्छमुज्जूढं , // 1453 // . आभिणिवेसियमिच्छं सम्मं जाणिज्ज जो कयग्गेण / : तं पुणअभव्वजीवहिं नो पत्तं भवसमुद्दम्मी // 1454 // अट्ठममिच्छत्तम्मि रुई धम्माइरुईण हुज्ज वित्थारो / ..... जइ कह वि पयट्टिज्जंइ तहा वि तस्संसणा हुज्जा // 1455 // पायमिह संपदायाओ खओवसमियं लहिज्ज सम्मत्तं / खइयमवि के वि अहवा जइ हुज्जा तब्भवे सिद्धी // 1456 // चउदस दस य अभिन्ने नियमा सम्मं तु सेसए भयणा / मइउहिविवज्जासे होइ मिच्छंत सेसेसु // 1457 // पुव्वमणाइलाभे सम्म उवसामियं भवे णियमा / ' पडिवाइसु णो णियमं खायं खाओवसमियं वा // 1458 // मिच्छत्तम्मी अखीणे तिप्पुंजी सम्मद्दिविणो नियमा / मिच्छत्तम्मि उ खीणे दुएगपुंजी व खवगो वा // 1459 // उवसमवेयगखइया अविरयसम्माइ सम्मद्दिट्ठिसु / उवसंतमप्पमत्ता तह सिद्धता जहाकमसो // 1460 // वेमाणिया य मणुया रयणाइतिनिरआ असंखवासतिरिया. य / तिविहा सम्मद्दिठी वेयगओवसामगा सेसा // 1461 // 26