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________________ एवं चिय वयजोगं निरंभइ कमेण कायजोगं च / तो सेलेसुव्व थिरो सेलेसी केवली होइ // 1390 // उप्पायठिइभंगाइ-पज्जवाणं जमेगदव्वम्मि। नाणनयाणुसरणं पुव्वगयसुयाणुसारेणं // 1391 // सवियारमत्थवंजण-जोगंतरो तयं पढमसुकं / होइ पुहत्तवियक्कं सवियारमरागभावस्स // 1392 // जं पुण सुनिप्पकंपं निवायसरणप्पईवमिव चित्तं / उप्पायठिइभंगाइयाणमेगं पि पज्जाए // 1393 // अवियारमत्थवंजण-जोगंतरओ तयं बीइअसुक्कं / पुव्वगयसुयालंबणमेगत्तवियक्कमवियारं // 1394 // निव्वाणगमणकाले केवलिणो दरनिरुद्धजोगस्स / सुहुमकिरियानियट्टी तइयं तणुकायकिरियस्स // 1395 // तस्सेव य सेलेसी-गयस्स सेलु व्व निप्पकंपस्स / वुच्छिनकिरियमप्पडि-वाई झाणं परमसुक्कं. // 1396 // पढम जोगे जोगे-सु वा मयं बीयमेगजोगम्मि / तइयं च कायजोगे सुक्कमजोगम्मि उ चउत्थं // 1397 / / जह छउमत्थस्स मणो झाणं भन्नइ सुनिच्चलं संतं / .. - तह केवलिणो काओ सुनिच्चलो भन्नए झाणं // 1398 // पुवप्पओगओ च्चिय कम्मविणिज्जरणहेउओ वा वि / सद्दत्थबहुत्ताओ तह जिणचंदागमाओ य // 1399 // चित्ताभावे वि सया सुहुमोवरयकिरियाइ भन्नति / जीवोवओगसब्भा-वओ य भवत्थस्स झाणाइ // 1400 // सुक्कझाणसुभावियचित्तो चिंतेइ झाणविरमे वि / निययमणुप्पेहावी चत्तारि चरित्तसंपत्तो // 1401 // 261
SR No.004452
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages310
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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