________________ जिणदेसियाइ लक्खण-संठाणासणविहाणमाणाई / उप्पयठिइभंगाइपज्जवा जे अ दव्वाणं // 1366 / / पंचत्थिकायमइयं लोयमणाइनिहणं जिणक्खायं / नामाइभेयभिण्णं तिविहमहोलोगभेयाइ // 1367 // खिइवलयदीवसायर-नरयविमाणभवणाइसंठाणं / वोमाइपइट्ठाणं निययं लोगट्ठिइविहाणं // 1368 // उवओगलक्खणमणाइ-निहणमत्थंतरं सरीराओ / जीवमरूवि कारिभोइं च सगस्स कम्मस्स // 1369 // तस्स य सकम्मजणियं जं पमायजलं कसायपायालं / वसणसयसावयगणं मोहावत्तं महाभीमं // 1370 // अन्नाणमारुएरिय-संजोगविओगवीइसंताणं / संसारसागरमणोर-पारमसुहं विचिंतिज्जा // 1371 // तस्स य संतरणसहं सम्मइंसणसुबंधणमणग्धं / . नाणवरकण्णधारं चारित्तमयं महापोयं . // 1372 // संवरकयनिच्छिड्डे तवपवणाविद्धजवणतरवेगं / वेरग्गमग्गपडियं विसुत्तियावीइनिक्खोभं // 1373 // आरोढुं मुणिवणिया महग्घसीलंगरयणपडिपुण्णं / जहत्तं निव्वाणपुरं सिग्घमविग्घेण पावंति . // 1374 // तत्थ य निरयणविणिओ-गमइयमेगंतियं निरांबाहं / साहावियं निरुवमं जहसुक्खं अक्खयमुर्विति // 1375 // किं बहुणा सव्वं चिय जीवाइपयत्थवित्थरोवेअं / सव्वनयसमूहमयं झाइज्झा समयसब्भावं // 1376 // सव्वपमायरहिया मुणओ खीणोवसंतमोहा य / झायारो नाणधणा धम्मझाणस्स निद्दिट्ठा // 1377 // 259