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________________ तस्सासायणदोसा विसेसओ पवयणे जओ भणिया / / तं नाऊण महप्पा संरक्खइ तं जहासत्ती . . // 333 // संकासविजयतक्कर-धणसिरिधणदेवनामओ सड्ढा / / भक्खणुवक्खणदोहण-वड्डणपभिईहि संजाया // 334 / / सव्वं सरीरकटुं विहलं उच्छूफलं व जीवाणं / जिणपडिमा भत्तीए सुण्णं सहलं पुणो तीए // 335. / / अह सुगुरूणुवएसो निक्खेवाईहि चउप्पयारो वि / नामाइविभेएहिं दव्वाईहिं तहा जाण , // 336 // . केवलनामेण गुरू ठवणगुरू अक्खपडिमरूवेहिं / . दव्वेण लिंगधारी भावे संजलकसाएहिं // 337 // तहियाण इमे तहिया वितहा वितहाण जोगजुत्ताणं / दव्वाइविभेएहिं वेसपमाणेहिं भइयव्वा , // 338 // गुणओभिंतरभावे अंणगारनियंठसाहुमुणिपमुहा / पज्जाया उवमा पुण पसन्नचित्ताइगुणविहाणा // 339 // ससरीरे वि निरीहा बज्झब्भंतरपरिग्गहविमुक्का / . धम्मोवगरणमित्तं धरंति चारित्तरक्खट्ठा // 340 // पंचेंदियदमणपरा जिणुत्तसिद्धंतगहियपरमत्था / पंचसमिया तिगुत्ता सरणं मह एरिसा गुरुणो // 341 // लक्खिज्जइ सो सुगुरू सद्धाकरणोवएसलिंगेहिं / अनिगृहंतो अप्पं सव्वत्थ सुसीलसुचरित्तो // 342 // पासत्थो 1 ओसन्नो 2 होइ कुसीलो 3 तहेव संसत्तो 4 / अहच्छंदो वि 5 य एए अवंदणिज्जा जिणमयम्मि // 343 // सो पासत्थो दुविहो सव्वे देसे य होइ नायव्वो न सव्वम्मि नाणदंसणचरणाणं जो उ पासम्मि . // 344 // 12
SR No.004452
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages310
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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