________________ दोण्हं पि समाओगे सुपूयणा च्छेयरूवगसारिच्छा / बीयगरूवयतुल्ला पमाइणो भत्तिजुत्तस्स // 225 // लाभाइनिमित्ताओ अखंडकिरियं पि कुव्वओ तइया / उभयविहूणा नेया अपूयणा चेव तत्तेण // 226 // एसो इह भावत्थवो कायव्वो देसकालमासज्ज / अप्पो वा बहुगो वा विहिणा बहुमाणजुत्तेण // 227 // सब्भूयजिणपडिमाणं भणंति बाला य अंतरं गुरुयं / तं वयणं नो तच्चं अलक्खतत्ता पमत्तदिसा // 228 // सव्वण्णू सव्वभासा-संगयभासाहिं भासमाणो वि / जम्हाणुवसामगाणं गुणभावम्मि उ न भव्वाणं // 229 // उज्जूभूयाण दुवे जह ववसायम्मि लिविगुणं पत्तं / तह सक्खपरोक्खाणं हेउमहेऊण जुग्गवसा // 230 // अइसयइड्विजुयाणं विसेसमासंकिऊण जं भणइ / / ता नामस्स वि तम्मि व निरत्थयं जाणणुट्ठाणं // 231 / / अन्नं च जिणमयम्मि चउव्विहं वण्णियं अणुट्ठाणं / पीइजुयं 1 भत्तिजुयं 2 वयणपहाणं 3 असंगं 4 च // 232 // जं कुणइ पीइरसो वड्डइ जीवस्स उजुसहावस्स / / बालाईण व रयणे पीइअणुट्ठाणमाहंसु . // 233 // तुल्लं पि पालणाई जायाजणणीपणइभत्तिगयं / पीइभत्तिजुयाणं भेओ नेओ तहेहं पि // 234 // जो पुण जिणमुणिचेइसु सुत्तविहाणेण वंदणं कुणइ / वयणाणुट्ठाणमिणं चरित्तिणो होइ नियमेण // 236 // जं पुण अब्भासरसा सुयं विणा कुणइ फलनिरासंसो / तमसंगाणुट्ठाणं विण्णेयं णिऊणदंसीहिं // 236 // 193