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________________ अप्पाहारस्स ण इंदिआई विसएसु संपयट्टति / नेअ किलम्मई तवसा रसिएसु न सज्जई आवि // 1392 / / तवभावणाएँ पंचिंदिआणि दंताणि जस्स वसमेंति / इंदिअजोग्गायरिओ समाहिकरणाइं कारेइ // 1393 / / इअ तवणिम्माओ खलु पच्छा सो सत्तभावणं कुणइ / निद्दाभयविजयट्ठा तत्थ उ पडिमा इमा पञ्च // 1394 // पढमा उवस्सयम्मी बीया बाहिं तइया चउक्कम्मि। सुन्नघरम्मि चउत्थी तह पंचमिआ मसाणम्मि // 1395 // एआसु थेवथेवं पुव्वपवत्तं जिणेइ णिदं सो। मूसगछिक्का उ तहा भयं च सहसुब्भवं अजिअं // 1396 // एएण सो कमणं डिभगतक्करसुराइकयमेअं। जिणिऊण महासत्तो वहइ भरं निब्भओ सयलं // 1397 // अह सुत्तभावणं सो एगग्गमणो अणाउलो भयवं / कालपरिमाणहेउं सऽब्भत्थं सव्वहा कुणइ // 1398 // उस्सासाओ पाणू तओ अ थोवो तओ वि अ मुहुत्तो / एएहिं पोरिसीओ ताहि पि णिसाइ जाणेइ // 1399 // एत्तो उवओगाओ सदेव सोऽमूढलक्खयाए उ। दोसं अपावमाणो करेइ किच्चं अविवरीअं // 1400 // मेहाइच्छण्णेसुं उभओकालं अहव उवसग्गे। हाइ भिक्खपंथे जाणइ कालं विणा छायं // 1401 // एगत्तभावणं तह गुरुमाइसु दिट्ठिमाइपरिहारा / भावइ छिण्णममत्तो तत्तं हिअयम्मि काऊणं // 1402 // एगो आया संजोगिअंतुऽसेसं इमस्स (पिमं तु) पाएणं / दुक्खणिमित्तं सव्वं हिओ य मज्झत्थभावो सो // 1403 // 117
SR No.004452
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages310
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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