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________________ परिवालिऊण विहिणा गणिमाइपयं जईणमिअमुचिअं। . अब्भुज्जुओ विहारो अहवा अब्भुज्जुअं मरणं . // 1368 // एसो अ विहारो वि हु जम्हा संलेहणासमो चेव। ता ण विरुद्धो णेओ एत्थं संलेहणादारे // 1369 // भणिऊण इमं पढम लेसुद्देसेण पच्छओ वोच्छं। दाराणुवाइगं चिअ सम्मं अब्भुज्जुअं मरणं // 1370 // अव्वोच्छित्तीमण पंच तुलण उवगरणमेव परिकम्मो। तवसत्तसुएगत्ते उवसग्गसहे अ वडरुक्खे // 1371 // सो पुव्वावरकाले जागरमाणो उ धम्मजागरिअं। उत्तमपसत्थझाणो हिअएण इमं विचितेइ // 1372 // अणुपालिओ उ दीहो परिआओ वायणा तहा दिण्णा / णिप्फाइआ य सीसा मज्झं कि संपयं जुत्तं? // 1373 / / किं णु विहारेणऽब्भुज्जएण विहरामऽणुत्तरगुणेणं / आऊ अब्भुज्जयसासणेण विहिणा अणुमरामि // 1374 // पारद्धावोच्छित्ती इण्डिं उचिअकरणा इहरहा उ। विरसावसाणओ णो इत्थं दारस्स संपाओ // 1375 // जिणसुद्धजहालंदा तिविहो अब्भुज्जओ इह विहारो। अब्भुज्जयमरणं पि अ पाउगमे इंगिणि परिण्णा // 1376 // सयमेव आउकालं णाउं पुच्छित्तु वा बहू सेसं / सुबहुगुणलाभकंखी विहारमब्भुज्जयं भवई // 1377 // गणिउवझायपवित्ती थेरगणच्छेइआ इमे पंच। पायमहिगारिणो इह तेसिमिमा होइ तुलणा उ // 1378 // गणणिक्खेवित्तिरिओ गणिस्स जो वा ठिओ जहिं ठाणे। जो तं अप्पसमस्स उ णिक्खिवई इत्तरं चेव // 1379 // 115
SR No.004452
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages310
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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