________________ जे इह सुत्ते भणिआ साहुगुणा तेहिं होइ सो साहू / वण्णेणं जच्चसुवण्णय व संते गुणणिहिम्मि // 1200 / / जो साहू गुणरहिओ भिक्खं हिंडइ ण होइ सो साहू / वण्णेणं जुत्तिसुवण्णयं वऽसंते गुणणिहिम्मि // 1201 // उद्दिट्टकडं भुंजइ छक्कायपमद्दणो घरं कुणइ / पच्चक्खं च जलगए जो पिअइ कहण्णु सो साहू // 1202 / / अण्णे उ कसाईआ किर एए एत्थ होइ णायव्वा / एआहिं परिक्खाहिं साहुपरिक्खेह कायव्वा // 1203 // तम्हा जे इह सत्थे साहुगुणा तेहिं होइ सो साहू। अच्चंतसुपरिसुद्धेहिं मोक्खसिद्धि त्ति काऊणं // 1204 // अलमित्थ पसंगेणं एवं खलु होइ भावचरणं तु / पडिबुझिस्संतऽण्णे भावज्जिअकम्मजोएणं // 1205 / / अपरिवडिअसुहचिंताभावज्जियकम्मपरिणईओ. उ। एअस्स जाइ अंतं तओ स आराहणं लहइ . // 1206 / / निच्छयणया जमेसा चरणपडिवत्तिसमयओ पभिई। आमरणंतमजस्सं संजमपरिपालणं विहिणा // 1207 // आराहगो अ जीवो सत्तट्ठभवेहि सिज्झई णिअमा। संपाविऊण परमं हंदि अहक्खायचारित्तं .. // 1208 / / दव्वत्थयभावत्थयरूवं एअम्मि (एअमिह ) होइ दट्ठव्वं / अण्णोण्णसमणुविद्धं णिच्छयओ भणियविसयं तु // 1209 // जइणो वि हु दव्वत्थयभेओ अणुमोअणेण अस्थि त्ति / एअंच इत्थ णेअं इय सिद्धं तंतजुत्तीए // 1210 // तंतम्मि वंदणाए पूअणसक्कारहेउमुस्सग्गो। जइणो वि हु निद्दिट्ठो ते पुण दव्वत्थयसरूवे // 1211 // 101