________________ गमा दिट्ठो / सक्कस्स अविरइत्ता जिणथुई जइ अणेण णुनाया / ता तक्कओ त्ति सो वुत्तुमेवमुचियं कहं तम्हा // 986 // केवलिणां दट्ठणं उवइट्ठाणं च विरइयाणं च / नवकारमाइयाणं महप्पभावुत्तियाणं // 987 // तिक्कालियमहवा सत्तकालियसुमरणे निउत्ताणं / .. जुत्तं चिय उवहाणं महानिसीहे निबद्धाणं // 988 // . उवहाणविहीणाण वि मरुदेवाईण सिवगमो दिट्ठो / एवं च वुच्चमाणे तवदिक्खाईण वि निसेहो // 989 // इय भूरिहेउजुत्तीजुयम्मि बहुकुसलसलहिए मग्गे / कुग्गहविरहेणुज्जमह महह जइ मुक्खसुहमणहं // 990 // ॥जिनप्रतिमास्तोत्रम् // नमिऊणं सव्वजिणे, सिद्धे सूरी तहा उवज्झाए / साहू अ जुगप्पवरे, वुच्छं जिण किल हं भत्तो चुलसिलक्खसहसा, सगनवइतिवीसऊडलोगम्मि / कोडीओ सत्तलक्खा, बावत्तरि भवणवासीसु . मेरुसु असी जिणाला, वक्खारेसु असी दसकुरुसु / वीसं गयदंतेसु, जयंति तीसं कुलगिरीसु वेयड्डेसु सत्तरिसयं च नंदीसरम्मि बावण्णा / उसुआर माणुसुत्तर, कुंडल रुअगेसु चउचउरो एवं सव्वग्गेणं, चउसयअडवण्णतिरिय लोगम्मि / वंतरजोइसमज्झे, जिणाण भवणा असंखिज्जा अण्णाइं कित्तिमाइं, नगनगरपुरेसु निगमगामेसु / विहिणा जिणभवणाई, भत्तीए वंदिमो ताई // 6 // इअ जिणहराण निअरं, संखेवेणं मए समक्खायं / भावेण भणिज्जं तं, भवविरहं कुणउ भव्वाणं 288 // 4 // // 7 //