________________ सुक्कम्मि पडिवयाओ तहेव वुड्डिएँ जाव पण्णरस / पंचदसपडिवयाहिं तो हाणी किण्हपडिवक्खे // 915 // किण्हे पडिवय (इ) पण्ण (ण) रस एगगहाणी उ जाव इक्को उ। अमवस्सपडिवयाहि वुड्डी पण्णरस पुनाए // 916 // एत्तो भिक्खामाणं एगा दत्ती विचित्तरूवा वि। . कुक्कुडिअंडयमेत्तं कवलस्स वि होई विण्णेयं // 917 // . एवं च कीरमाणं सफलं परिसुद्धजोगभावस्स / णिरहिगरणस्स णेयं इयरस्स ण तारिसं होई // 918 // अण्णो वि अस्थि चित्तो तहा तहा देवयाणिओएण। . मुद्धजणाण हिओ खलु रोहिणिमाई मुणेयव्वो // 919 // रोहिणी अंबा तह मंदउंण्णिया सव्वसंपयासोक्खा / सुयसंतिसुरा काली सिद्धाईया तहा चेव' // 920 // एमाइदेवयाओ पडुच्च अवऊसगा उ जे चित्ता / णाणादेसपसिद्धा ते सव्वे चेव होइ. तवो . // 921 // जत्थ कसायणिरोहो बंभं जिणपूयणं अणसणं च / . सो सव्वो चेव तवो विसेसओ मुद्धलोयम्मि // 922 // एवं पडिवत्तीए एत्तो मग्गाणुसारिभावाओ। चरणं विहियं बहवो पत्ता जीवा महाभागा // 923 // सव्वंगसुंदरो तह णिरुजसिहो परमभूसणो चेव। . आयइजणगो सोहग्गकप्परुक्खो तहन्नो वि // 924 // : पढिओ तवोविसेसो अण्णेहि वि तेहि तेहिं सत्थेहिं। . मग्गपडिवत्तिहेउं हंदि विणेयाणुगुण्णेणं // 925 // अट्ठोवासा एगंतरेण विहिपारणं च आयामं / . . सव्वंगसुंदरो सो होइ तवो सुक्कपक्खम्मि . // 926 // 282