________________ असुहझवसाणाओ जो सुहभावो विसेस अहिगो / सो इह होति विसिट्ठो ण ओहतो समयणीतीए // 774 // इहरा बंभादीणं आवस्सयकरणतो उ ओहेणं / पच्छित्तं ति विसुद्धी ततो ण दोसो समयसिद्धो // 775 // ता एयम्मि पयत्तो कायव्वो अप्पमत्तयाए उ। . सति बलजोगेण तहा संनेगविसेसजोगेण . . // 776 // एतेण पगारेणं संवेगाइसयजोगतो चेव / अहिगयविसिट्ठभावो तहा तहा होति णियमेणं // 777 // तत्तो तब्विगमो खलु अणुबंधावणयणं व होज्जाहि / जं इय अपुव्वकरणं जायति सेढी य विहिरफला // 778 // एवं निकाइयाण वि कम्माणं भणियमेत्थ खवणंति / तं पिय जुज्जइ एवं तु भावियव्वं अंओ एवं // 779 // विहियाणुट्ठाणम्मी एत्थं आलोयणादि जं भण्यिं / तं कह पायच्छित्तं दोसाभावेण तस्स त्ति ? ... // 780 // अह तं पि सदोसं चिय तस्स विहाणं तु कह णु समयम्मि ? न य णो पायच्छित्तं इमं पि तह कित्तणाओ उ // 781 // भण्णइ पायच्छित्तं विहियाणुट्ठाणगोयरं चेयं / तत्थ वि य किंतु सुहुमा विराहणा अस्थि तीऐं इमं // 782 // सव्वावत्थासु जओ पायं बंधो भवत्थजीवाणं / भणितो विचित्तभेदो पुव्वायरिया तहा चाहु // .783 // सत्तविहबंधगा होंति पाणिणो आउवज्जियाणं तु / . तह सुहुमसंपराया छव्विहबंधा विणिट्ठिा // 784 // मोहाउयवज्जाणं पगडीणं ते उ बंधगा भणिता / उवसंतखीणमोहा केवलिणो एगविहबंधा // 785 // 200