________________ चउकारणपरिसुद्धं कसच्छेयतावताडणाए य.। जं तं विसघातिरसायणादिगुणसंजुयं होइ // 680 // इयरम्मि कसाईया विसिट्ठलेसा तहेगसारत्तं / अवगारिणि अणुकंपा वसणे अइणिच्चलं चित्तं // 681 // तं कसिणगुणोवेयं होइ सुवण्णं ण सेसयं जुत्ती / ण वि णाम रूवमेत्तेण एवमगुणो भवति साहू // 682 // जुत्तीसुवण्णगं पुण सुवण्णवण्णं तु जदि वि कीरेज्जा / ण हु होति तं सुवण्णं सेसेहिं गुणेहऽसंतेहिं // 683 // जे इह सुत्ते भणिया साहुगुणा तेहिं होइ सो साहू / ... वण्णेणं जच्चसुवण्णग व्व संते गुणणिहिम्मि // 684 // जो साहू गुणरहिओ भिक्खं हिंडेंति ण होति सो साहू / " वण्णेणं जुत्तिसुवण्णगव्वऽसंते गुणणिहिम्मि // 685 // उद्दिट्टकडं भुंजति छक्कायपमद्दणो घरं कुणति / पच्चक्खं च जलगते जो पियइ कह णु सो साहू ? // 686 // अन्ने उ कसादीया किल एते एत्थ होंति णायव्वा / एताहिं परिक्खाहि साहुपरिक्खेह कायव्वा // 687 // तम्हा जे इह सुत्ते साहुगुणा तेहिं होइ सो साहू / / अच्चंतसुपरिसुद्धेहिं मोक्खसिद्धि त्ति काऊणं // 688 // अलमेत्थ पसंगेणं सीलंगाई हवंति एमेव / भावसमणाण सम्मं अखंडचारित्तजुत्ताणं // 689 // इय सीलंगजुया खलु दुक्खंतकरा जिणेहिं पण्णत्ता / . भावपहाणा साहू ण तु अण्णे दवलिंगधरा // 690 // संपुण्णा वि हि किरिया भावेण विणा ण होति किरिय त्ति / / णियफलविगलत्तणओ गेविज्जुववायणाएणं // 691 // 22