________________ कज्जेणं गच्छतस्स गुरुणिओएण सुत्तणीईए। आवस्सिय त्ति णेया सुद्धा अण्णत्थजोगाओ // 562 // कज्जं पि णाणदंसणचरित्तजोगाण साहगं जं तु / जइणो सेसमकज्जं ण तत्थ आवस्सिया सुद्धा . // 563 // वइमेत्तं णिव्विसयं दोसाय मुस त्ति एव विण्णेयं / कुसलेहिं वयणाओ वइरेगेषं जओ भणियं // 564 / / आवस्सिया उ आवस्सिएहिं सव्वेहिं जुत्तजोगस्स / एयस्सेसो उचिओ इयरस्स ण चेव णत्थि त्ति // 565 // एवोग्गहप्पवेसे णिसीहिया तह णिसिद्धजोगस्स / एयस्सेसो उचिओ इयरस्स ण चेव णत्थि ति // 566 // गुरुदेवोग्गहभूमिएँ जत्तओ चेव होंति परिभोगो / इट्ठफलसाहगो सइ अणि?फलसाहगो इहरा // 567 // एत्तो ओसरणादिसु दंसणमेत्ते गयादिओसरणं / सुच्चइ चेइयसिहराइएसु सुस्सावगाणं पि . // 568 // जो होइ निसिद्धप्पा णिसीहिया तस्स भावतो होइ / अणिसिद्धस्स उ एसा वइमेत्तं चेव दट्ठव्वा // 569 // . आउच्छणा उ कज्जे गुरुणो गुरुसम्मयस्स वा णियमा / एवं खु तयं सेयं जायति सति णिज्जराहेउ // 570 // सो विहिनाया तस्साहणम्मि तज्जाणणा सुणायंति / सन्नाणा पडिवत्ती सुहभावो मंगलो तत्थ // 571 // इट्ठपसिद्धणुबंधो धण्णो पावक्खयपुण्णबंधाओ। . सुहगइगुरुलाभाओ एवं चिय सव्वसिद्धि त्ति // 572 // इहरा विवज्जतो खलु इमस्स सव्वस्स होइ जं तेणं / बहुवेलाइकमेणं सव्वत्थापुच्छणा भणिया // 573 // ૨પ૦