________________ कम्मविमुक्कसरूवो अणिदियत्ता अछेज्जभेज्जो उ / रूवादिविरहतो वा अणादिपरिणामभावातो // 192 // छउमत्थाणुवलंभा तहेव सव्वन्नुवयणओ पायं / लोगादिपसिद्धीतोऽमुत्तो जीवो त्ति णेयव्वो // 193 // परिणामी खलु जीवो सुहादिजोगातो होइ णेयव्वो। णेगंतणिच्चपक्खे अणिच्चपक्खे य सोऽजुत्तो // 194 // एगसहावो णिच्चो स जइ सुही णिच्चमेव तब्भावो / पावइ तस्स अह दुही दुहभावो दिस्सए चुभयं // 195 // उभयसहावो ति मती जुगवं वेदेज्ज दो वि सुहदुक्खे / कमवेदगस्सभावोऽणिच्चत्तं पावती अवस्सं // 196 // वेदेइ जया स सुहं न तदा दुहवेदगस्सभावो से / तन्निवित्तीए तओऽणिच्चो सो जं तओऽणण्णो // 197 // अह णो तस्स निवित्ती, कहं ण दुक्खी ? जहा सुही को वा / उभयसहावत्ते सइ हंदि विसेसो स जेण सुही ? // 198 // अस्थि विसेसो जम्हा स सुही सहकारिकारणं पप्प / / होइ सयचंदणादी विससत्थादी य दुक्खि त्ति . // 199 // ण य तेसि सण्णिहाणं जुगवं नो तेण होंति सुहदुक्खा / इय उभयसनिहाणे पावइ नणु उभयभावो वि // 200 // सहकारिकारणं से कि उवगारं करेइ किं वा णो ? / जं पप्प होइ स सुही दुहा वि दोसा अणेगविहा // 201 // जइ कुणइ हंत तत्तो भिन्नमभिन्नं व तं करेज्ज त्ति ? / / भिन्ने ण तेण जोगो होइ अणिच्चो अभिन्नम्मि // 202 // जई भिन्नो उवगारो जातो तत्तो किमागयं तस्स? / तत्तो पुणो वि तम्मि भिन्ने दोसोऽणवत्था उ // 203 //