________________ साहणमदिट्ठपुव्वा अण्णेणेगेण दिट्ठगहणं च / पुच्छा सावगपूया दंडो इयरस्स अइरोद्दो // 535 // उज्जेणीए रोगो णामं धिज्जाइओ महासड्डो / रोगऽहियासण देविंदपसंसा असद्दहण देवा // 536 // काऊण वेज्जरूवं भणंति तं पण्णवेमो अम्हे त्ति / रयणीए परिभोगो महुमाईणं चउण्हं तु // 537 // : तस्साणिच्छण कहणा रन्नो सयणस्स चेव तेसिं तु / लग्गण सत्थकहाहिं ताणं इयरस्स संवेगो // 538 // . देहत्थपीडा णाया पडिबोहण मो तु णवरमेतेसिं / आया तु देहतुल्लो देहो पुण अत्थतुल्लो त्ति देवुवओगे तोसो नियरूवं रोगहरणनामं ति। आरोगो से जायं वयपरिणामो त्ति दट्ठव्वो // 540 // सइ एयम्मि विचारति अप्पबहुत्तं जहट्ठियं चेव / सम्मं पयट्टति तहा जह पावतिं निज़्जरं विउलं . // 541 // पुब्बिं दुच्चिन्नाणं कम्माणं अक्खएण णो मोक्खो। पडियारपवित्ती वि हु सेया इह वयणसार त्ति // 542 // अट्टज्झाणाभावे सम्मं अहियासियव्वतो वाही / तब्भावम्मि वि विहिणा पडियारपवत्तणं णेयं // 543 // सव्वत्थ माइठाणं न पयट्टति भावतो तु धम्मम्मि / जाणतो अप्पाणं न जाउ धीरो इहं दुहइ // 544 // कोडिच्चागा कागिणिगहणं पावाण ण उण धन्नाणं / . धन्नो य चरणजुत्तो त्ति धम्मसारो सया होति // 545 // गुणठाणगपरिणामे संते तह बुद्धिमं पि पाएणं। जायइ जीवो तप्फलमवेक्खमन्ने उ नियम त्ति / // 546 // 12