________________ 66. वेयावच्च - सेवा, वेयावृत्य / 67. विद्याचरण- वे मुनि, जो विद्या से आकाश में विचरण करते हैं। 68. विभूषा - शृंगार | 69. विराधना - हिंसा / / 70. सज्झाय - स्वाध्याय। 71. समवसरण- जहाँ तीर्थंकर देशना देते हैं, देवनिर्मित वह पावन स्थान। 72. संपातिम - उड़ने वाले छोटे जीव यथा मच्छर आदि / 73. सागरोपम-जिसे सागर की उपमा दी गयी है, ऐसा असंख्य वर्षों का काल | . 74. सावध - हिंसाजन्य / 75. हनन - विनाश। 76. क्षयोपशम- कर्म के कुछ अंशों में क्षय से और कुछ अंशों में शमन से होने वाली प्रक्रिया। 316 *** * ***