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________________ जिस प्रकार आकाश सभी को स्थान आरोग्य की, सूत, रूद्राक्ष, देता है, वैसे ही इस अंगुली से जाप फिटकरी की माला से सुख की करने से हृदय की विशालता, प्राप्त होती है। सदभाव, सहयोग की भावना उत्पन्न 2. सभी प्रकार की मालाओं में सूत होती है। फलतः व्यक्ति धन, सुख की माला सर्वोत्कृष्ट कही गयी है। आदि प्राप्त करता है। प्लास्टिक, रेडियम एवं हल्की 4. अनामिका जाप- इसमें पृथ्वी लकड़ी की माला का प्रयोग तत्त्व की प्रधानता है। पृथ्वी में कदापि नहीं करना चाहिये। सहनशीलता, गुरुत्वाकर्षण, 3. माला के सभी मणके बराबर होने क्षमा, धैर्य आदि गुण होते हैं। चाहिये, छोटे-बड़े नहीं। . . अतः इस अंगुली से .. 4. जिस रंग के मणके हो, उसी रंग जाप करके इन गुणों के माध्यम से के रेशम अथवा सूत के धागे में व्यक्ति सुख, शान्ति, धीरज आदि माला पिरोनी चाहिये। को प्राप्त करता है। 5. माला को इधर उधर न रखकर 5. कनिष्ठिका जाप- जल तत्त्व का व्यवस्थित स्थान पर वस्त्र, पॉकेट प्राधान्य होने से कनिष्ठिका के आदि में डालकर रखनी चाहिये। माध्यम से ध्याता में संतोष, 6. माला से पाँव आदि निम्न अंगों का जप,तप, साधना, ज्ञान, चारित्र स्पर्श न हो, गंदे, झूठे हाथ भी न आदि गुण प्रकट होते हैं। जल लगे, इस बात का विशेष ध्यान तत्त्व रस युक्त होने से इस अंगुली के रखना चाहिये। जाप से व्यक्ति में आकर्षण, प्रीति, 7. माला ज्ञान का उपकरण है, अतः स्नेहादि गुण सहज ही विकसित उसके प्रति बहुमान का भाव होते हैं। रखना चाहिये। प्र.614. माला किस प्रकार की होनी प्र.615.माला फेरते समय क्या ध्यान चाहिये? रखना चाहिये? उ. 1. सोने एवं कपूर की माला से उ. 1. ध्यान रहे- माला का वस्त्र एवं सौभाग्य की, चांदी की माला से नाखून से स्पर्श नहीं होना चाहिये। शांति की, मोती की माला से 2. माला हृदय के सन्मुख होनी
SR No.004444
Book TitleJain Jivan Shailee
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar, Nilanjanashreeji
PublisherJahaj Mandir Prakashan
Publication Year2012
Total Pages346
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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