________________ भीमसिंह, भीमदेव को जीवन का मर्म बताया था। पृथ्वीराज चौहान विद्वद्वर्य जिनपालोपाध्याय की चारित्र-प्रियता से प्रभावित था तो बीजापुर नरेश सारंगदेव, जैसलमेराधिपति कर्णदेव आदि ने जिनप्रबोधसूरि से प्रतिबोधित हो व्यसनों का त्याग किया था। जिनप्रभसूरि की विद्वत्ता पर मुहम्मद तुगलक फिदा था और जिनेश्वरसूरि (द्वितीय) के तपोमय जीवन से मुहम्मद बेगडे में आश्चर्यजनक परिवर्तन घटित हुए थे। जिनपद्मसूरि से बाडमेर नरेश शिखरसिंह, रूद्रनन्दन, हरिपालदेव, जिनसिंहसूरि से नरेश जहाँगीर, जिनराजसूरि से सिकन्दर लोदी बादशाह अत्यन्त प्रभावित थे। इस प्रकार खरतरगच्छाचार्यों की उज्ज्वल परम्परा ने अनेक राजाओं को जीवन का मर्म बताया / इस कारण खरतरगच्छ राजगच्छ के रुप में प्रसिद्ध हुआ। खरतरगच्छ को विधि मार्ग, संविग्न पक्ष, सुविहित पक्ष आदि भी कहा जाता है।