________________ कर्म करने से सुख की एवं अशुभ कर्म करने से दुःख की प्राप्ति होती है, फिर वह अशुभ/ पापकार्य में प्रवृत्त क्यों होता है? जीव अनादिकाल से विषय-भोग के प्रवाह में बहता आया है। उन अनादि कालिन संस्कारों के प्रभाव से वह धर्म साधना को छोडकर विषय, कषाय, राग-द्वेष में रत होकर कर्मबंधन करके दुःखी होता हैं। जब तक जीव मोह और प्रमाद पर विजय प्राप्त नहीं कर लेता है, तब तक वह सांसारिक सुखों का गुलाम बनकर जानता हुआ भी पापकार्य में प्रवृत्त होता रहता है। उ.