________________ 560 श्री राजेन्द्र यतीन्द्र जैनागम हिन्दी प्रकाशन - नि.308 उग्गमदोसा पढमिल्लुयंमि संपत्तपञ्चवाया य 1 / बीयंमि सोअवाई बहुविहसिज्जाविवेगो 2 य॥ नि.30७ तइए जयंतछलणा सज्झायस्सऽणुवरोहि जइयव्वं / समविसमाईएसु य समणेणं निज्जरवाए 3 / / नि.3०८ (चूलिका-१ अध्ययन-3 ईर्या) नाम 1 ठवणाइरिया 2 दव्वे 2 खित्ते 4 य काल 5 भावे 6 य। एसो खलु इरियाए निक्खेवो छव्विहो होइ॥ नि.30९ दव्वइरियाओ तिविहा सचित्ताचित्तमीसगा चेव / खित्तंमि जंमि खित्ते काले कालो जहिं होइ॥ नि.३१० भावरियाओ दुविहा चरणरिया चेव संजमरिया य। समणस्स कहं गमणं निहोसं होड़ परिसुद्धं // .. नि.३११ भावइरियाओ दुविहा चरणरिया चेव संजमरिया य / समणस्स कहं गमणं निद्दोस होइ परिसुद्धं // नि.3१२ चउकारणपरिसुद्धं अहवावि (हु) होज कारणजाए। आलंबणजयणाए काले मग्गे य जइयव्वं // नि.383 सव्वेवि ईरियविसोहिकारगा तहवि अत्थि उ विसेसो। उद्देसे उद्देसे वुच्छामि जहक्कम किंचि / / नि.3१४ पढमे उवागमण निग्गमो य अद्धाण नावजयणा य। बिड़ए आरूढ छलणं जंघासंतार पुच्छा य॥