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________________ 558 श्री राजेन्द्र यतीन्द्र जैनागम हिन्दी प्रकाशन - श्री आचाराङ्गे द्वितीय-श्रुतस्कन्धस्य नियुक्तिः नि.२८८ (चूलिका-१ अध्ययन-१ पिण्डैषणा) दव्वोगाहण आएस काल कमगणणसंचए भावे। अग्गं भावे उ पहाणबहुय उवगारओ तिविहं // नि.२८९ उवयारेण उ पगयं आयारस्सेव उवरिमाइं तु / रुक्खस्स य पव्वयस्स य जह अग्गाई तहेयाई॥ नि.२९० थेरेहिऽणुग्गहट्ठा सीसहि होउ पागडत्थं च / आयाराओ अत्थो आयारंगेसु पविभत्तो॥ नि.२९१ बिइअस्स य पंचमए अट्ठमगस्स बिइयंमि उद्देसे। भणिओ पिंडो सिज्जा वत्थं पाउग्गहो चेव // नि.२९२ पंचमगस्स चउत्थे इरिया वण्णिज्जई समासेणं। छट्ठस्स य पंचमए भासज्जायं वियाणाहि। नि.२९3 सत्तिक्कगाणि सत्तवि निज्जूढाई महापरिन्नाओ। सत्थपरिन्ना भावण निज्जूढा उ धुय विमुत्ती॥ नि.२९४ आयारपकप्पो पुण पच्चक्खाणरंस तइयवत्थूओ। आयारनामधिजा वीसइमा पाहुडच्छेया / / नि.२९५ अव्वोगडो उ भणिओ सत्थपरिन्नाय दंडनिक्लेवो। सो पुण विभज्जमाणो तहा तहा होइ नायव्वो॥ नि.२९६ एगविहो पुण सो संजमुत्ति अज्झत्थबाहिरो यदुहा। मणवयणकाय तिविहो चउव्विहो चाउजामो उ॥
SR No.004438
Book TitleAcharang Sutram Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay, Rameshchandra L Haria
PublisherRajendra Yatindra Jainagam Hindi Prakashan
Publication Year
Total Pages608
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size14 MB
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